
राज भारत न्यूज़ / छत्तीसगढ़ / 07 सितंबर 2023 / शुक्रवार / बिलासपुर :-
● नार्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिलांग में आयोजित की गई थी कॉन्फ्रेंस
● कॉन्फ्रेंस में भारत,जापान,थाईलैंड और स्वीडन के वैज्ञानिक पहुँचे
हरियाणा में पीएचडी कर रही शहर की शोध छात्रा शेफाली ने डेयरी साइंस में एक नया इतिहास रचते हुए खमीर जनित डेयरी खाद्य पदार्थ में नैनोबुलबूलों पर एक शोध किया जिनके शोध पत्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।उक्त शोध पत्र को प्रस्तुत करने पर गुरु अंगद देव वेटरनरी व एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी लुधियाना के कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस एवं टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रणव कुमार सिंह को खमीर से तैयार खाद पदार्थ व स्वास्थ स्तर और सामाजिक बेहतरी विषय पर 11 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र पुरुस्कार से सम्मानित किया गया वही इनकी शोध पत्र को रूप देने वाली बिलासपुर हेमुनगर स्थित मधुसूदन हाइट्स में निवासरत शोध छात्रा शेफाली सिरामे भी शोध पत्र पुरुस्कार से सम्मानित हुई है शेफाली सिरामे रेल विभाग में कार्यरत नारायण सिरामे की सुपुत्री है।

उक्त सम्मेलन नार्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिलांग में आयोजित किया गया है वही इस सम्मेलन में भारत,जापान, थाईलैंड, व स्वीडन के वैज्ञानिक पहुँचे साथ ही उद्योगों के प्रतिनिधि भी पहुँचे हुए थे।
डॉ. प्रणव ने खमीर जनित डेयरी खाद्य पदार्थ में नैनोबुलबलों का अभ्यास विषय पर एक पेपर प्रस्तुत किया। इस तकनीकी से डेयरी उत्पाद जैसे दही आदि तैयार करने की एक नई पहल की जा रही है यह खमीर की क्रिया को तेज या धीमा कर सकती है।
कॉलेज के डीन डॉ. राम शरण सेठी ने डॉ. प्रणय और उनकी टीम के सदस्य डॉ. एस के मिश्रा व शेफाली सिरामे को इस खोज के लिए बधाई दिए है। डॉ. सेठी ने बताया कि इस शोध में आईआईटी रोपड़ के डॉ. नील कंठ निर्मलकर भी शामिल थे।
अनुसंधान निदेशक डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल ने शोधकर्ताओं के काम की सराहना करते हुए कहा उक्त तकनीक से डेयरी क्षेत्र में नए परिणाम सामने आएंगे वही वीसी डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा शोधकर्ताओं के निष्कर्ष इस बात की गवाही देते है कि हमारे वैज्ञानिक समय के साथ चल रहे है व ऐसे प्रयासों से डेयरी उद्योगों में आधुनिकी करण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा ।
● शेफाली ने अपनी सफलता पर गुरुदेव श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र की दया का आभार माना ●
शोध छात्रा शेफाली सिरामे ने बताई की वे गुरुदेव श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र को अपना इष्टदेव मानती है इस वजह से वह अपने जीवन की प्रत्येक सफलता पर उनकी दया व प्रताप का फल मानती है इसलिए वह इस सफलता को भी उनकी दया का फल मानती है।