Homeअन्य खबरेरेल्वे क्षेत्र में चालू सड़कों को रेल अधिकारियों ने बंद कर दिया..परेशान...

रेल्वे क्षेत्र में चालू सड़कों को रेल अधिकारियों ने बंद कर दिया..परेशान क्षेत्रीय लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ खोला मोर्चा,दिए आंदोलन की चेतावनी

राज भारत न्यूज़ / छत्तीसगढ़ / 29 जून 2024 / शनिवार / बिलासपुर :- रेल्वे क्षेत्र में रेल अधिकारियों के ताना शाही रवैये से आम नागरिक हमेशा से परेशान रहा है। अन्य प्रदेशों से आये रेल विभाग के अधिकारियों ने अपनी मनमानी कर हमेशा से लोगों को परेशान किया है जिसके कई उदाहरण रेल परिक्षेत्र में देखने को मिलते है चाहे वह रेल्वे स्टेशन के पार्किंग प्रतिबंध का हो या फिर सड़क प्रतिबंध का हो इन्ही सब परेशानियों से क्षुब्ध होकर क्षेत्रीय संगठन के लोगों ने रेल अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल विरोध शुरू कर दिया है जिसे लेकर उन्होंने आज प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता रखा।

रेल्वे क्षेत्र की सर्वदलीय एवं जनवादी संगठनों के संयुक्त मंच ने आज शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर बताया भारत माता स्कूल के बगल से जाने वाली सड़कों को रेल अधिकारियों ने विगत 06 महीनों से स्थायी रूप से बंद कर रखा है। इस विषय मे 09 अप्रैल 2024 को जिला कलेक्टर के साथ विभिन्न राजनैतिक दलों की बैठक में यह मुद्दा हमने उठाया था जिसपर जिला प्रशासन ने आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। दिनाँक 21 अप्रैल को स्थानीय विधायक अमर अग्रवाल को भी दूरभाष से इस समस्या की जानकारी दी गई थी जिसपर विधायक श्री अग्रवाल की रेल महाप्रबंधक से दूरभाष से चर्चा भी हुई थी। लोकसभा चुनाव के औपचारिकता के लिए कुछ समय के लिए इन प्रतिबंध रास्तों को खोल दिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद पुनः इसे स्थायी रूप से बंद कर दिया गया जो कि अब तक नही खुला जिससे भारत माता स्कूल से निकलने वाले बच्चों को सीधे स्टेशन वाली मुख्य मार्ग से होकर जाना पड़ता है जहाँ दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है ।यह मार्ग रेल्वे के मरीजों के जाने वाले उपयोग के लिए भी आता रहा है अन्य रेल कर्मचारियों का भी आवागमन इसी मार्ग से सरलता से होता रहा है लेकिन जब से यह मार्ग बंद हुआ है मरीज व उनके परिजनों को एक लंबी दूरी वाली सड़क से होकर जाना पड़ता है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

● कंचन जंगा एक्सप्रेस रेल दुर्घटना के लिए रेल मंत्री जिम्मेदार ●

सर्वदलीय एवं संयुक्त संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा हाल ही में हुए कंचन जंगा एक्सप्रेस रेल दुर्घटना के लिए रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को जिम्मेदार मानते हुए स्तीफा की माँग किये है। संगठन ने बताया विश्वनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि ट्रेन की सिग्नल 06 घंटो से फेल था वही सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि रेल विभाग द्वारा सिग्नल मेंटेनेंस का कार्य प्राइवेट ठेकेदारों के द्वारा करवाया जाता है वही दुर्घटना ग्रस्त मालगाड़ी ड्राइवर को लगातार रात्रि कालीन तीन पालियों में काम करवाने के पश्चात विश्राम देना छोड़ दबावपूर्ण ड्यूटी में भेजा गया था और उसे ही रेल मंत्री ने दुर्घटना का जिम्मेदार ठहरा दिया।

सुरक्षा से लापरवाही के कारण रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के पिछले पांच साल के कार्यकाल में 536 रेल दुर्घटनाएं हुई है। इन दुर्घटनाओं का मूल कारण रेलवे की संरक्षा (सेफ्टी) के डेढ़ लाख पद खाली हैं एवं कुल रिक्तियों तीन लाख से अधिक है। सवारी रेलगाड़ी की संख्या लगातार बढ़ रही है। काम का दबाव बढ़ रहा है। यार्ड, पटरी एवं प्लेटफॉर्म की संख्या सीमित है, परंतु सवारी एवं माल
गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 1974 में 24 लाख रेल कर्मी सेवा में थे। की संख्या 100 गुना बढ़ चुकी है। कर्मचारियों के स्वीकृत पद 15 लाख परंतु अभी 12 लाख कर्मचारी कार्यरत है एवं 3 लाख पद खाली है। जिसकी वजह से सुरक्षा से अनवरत खिलवाड़ हो रहा है। बुलेट ट्रेन, वंदेभारत जैसी नई ट्रेन बालाने की बजाए रेलवे की आधारभूत संरचना का विकास आज की प्राथमिक आवश्यकता है। नई भर्ती करके ड्राईवर एवं पैसेंजर के जीवन से खिलवाड़ बंद किया जाये। रेलवे के निजीकरण/ ठेकाकरण को तत्काल रोका जाना चाहिये। इसमें रेलवे में कार्यरत कर्मचारी संगठनों की भी जिम्मेदारी है कि वे देश हित में निजीकरण/ठेकाकरण का विरोध करते हुए अपनी भूमिका का सही निर्वहन करे एवं आम जनता के जानमाल एवं रेलवे की बहुमूल्य संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करे। खाली पदों को भरे जाने से देश के बेरोजगारों के आर्थिक हित को सुनिश्चित करते हुए रेलवे की संरक्षा को मजबूत करे।

● रेल्वे इंग्लिश मीडियम स्कूल के पूर्व प्राचार्य के.के.मिश्रा पर आरोप ●

बिलासपुर रेल प्रशासन द्वारा स्कूल मैनेजर के पद पर एक सेवा निवृत्त रेल्वे स्कूल के प्राचार्य को रेलवे द्वारा तमाम नियमों को ताक पर रखकर नियुक्त करके 50,000/- प्रतिमाह वेतन भुगतान किया जा रहा है। एस.ई.सी. आर बिलासपुर को छोड़कर पूरे भारत वर्ष में मैनेजर का पद कही भी नहीं है। रेलवे स्कूल के पूर्व प्राचार्य के.के. मिश्रा सबसे पहले संविदाकर्मी के रूप में सर्वो स्कूल चक्रधरपुर डिवीजन में नियुक्त हुए उसके बाद सीधे बिलासपुर में गणित शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी। प्राइवेट ट्यूशन करने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। अपनी संघ का फायदा उठाकर एक माह में अपना निलंबन उन्होंने वापस करवा लिया। कुछ समय बाद एस.ई. रेल्वे में मिक्सड हायर सेकेण्डरी इंग्लिश मीडियम स्कूल में अनेक वरिष्ठ शिक्षकों की वरिष्ठता का उल्लंघन करते हुए उन्हें प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया। प्राचार्य बनने के बाद स्कूल के विकास के बजाये अपने व्यक्तिगत प्रचार, प्रसार में लगे रहे। उनके कार्यकाल में किसी भी बोर्ड परीक्षा या विश्व विद्यालय में कोई भी छात्र मेघावी छात्र के रूप में मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाया है और न ही यूनिवर्सिटी में टॉप किया है। जबकि पूर्व में रेलवे स्कूल से कई मेधावी छात्र अपने
स्कूल एवं शहर का नाम रोशन कर चुके है, जिनमें प्रमुखतः डॉ. चंद्रशेखर रहालकर, डॉ. संदीप गुप्ता, आर.पी. मण्डल, कलेक्टर एवं मुकुल सिन्हा कानपुर आई.आई.टी है।

तथाकथित मैनेजर द्वारा प्राचार्यों के कार्यों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। के.के. मिश्रा द्वारा एक निजी स्कूल अन्नपूर्णा कॉलोनी, बिलासपुर एवं तारबाहर में मेडिकल शॉप का संचालन किया जा रहा है एवं वह स्वयं उसके मालिक हैं। हाल ही में रेलवे को दो करोड़ रूपये स्कूल डेवलपमेंट के रूप में रेलवे प्रशासन को आबंठित हुआ है। जिसके दुरूपयोग से इंकार नहीं किया जा सकता। हमारी मांग यह है कि रेलवे प्रशासन के.के. मिश्रा को तत्काल स्कूल मैनेजर के पद से हटाए एवं रेल प्रशासन एवं एजेंसियों द्वारा इनके अनुपातहीन संपत्ति की जांच कराए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!